सब चुप हे, मै भी हू मौन देखता
क्या करता मै भी इस भीड़ मे एक था
जल रहा वर्तमान भविशय अंधकार हुआ
चारो तरफ़ हाहकार बस हाहकार हुआ
भीग गयी हे आंखे मेरी
मन भी है रो उठा
निर्मल काया मन पर भी अब रक्त का श्रर्न्गार हुआ
मंच चुप क्यो है
इस पर भी मुझे खुद पर धिक्कार हुआ |
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