Analyser/Observer
अब तो बस
जी चाहता है
कोई अपना
पूछ ले
सब ठीक तो है ना |
और मै जोर से
रो दू
पिघला दू
उन आँसुओ को
जो हर्दय-तल मे
जम गये है |
जो आँखो मे
दिखायी नही देते |
व्यर्थ के भावो ने
जो पाश मुझ पर डाला है
एक-एक कर उसके सारे बँधन मै खोलू
जुबा जो अब तक
प्रकट कर रही थी किसी ओर को
उससे अब स्वयं को बोलु |
अब तो बस
जी चाहता है
कोई अपना
पूछ ले
सब ठीक तो है ना |
©Ashok Bamniya
बहुत खूब...
ReplyDeleteधन्यवाद रविन्द्र जी
Deleteमन के भावों को बहुत सुन्दर मोतियों में पिरोया है
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद अनिता जी
Deleteबहुत खूब ......
ReplyDeleteधन्यवाद कामिनी जी
Deleteसब ठीक तो है ना .....
ReplyDeleteपधारिये- ठीक हो न जाएँ
धन्यवाद जी
Deleteजब मन भर जाता है तब ऐसा ही लगता है कि कोई तो हो अपना जिसे बतायें और रो लें ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...।
धन्यवाद सुधा जी ... सब ठीक तो है ना
Deleteधन्यवाद पम्मी जी मेरी पंक्तियो को स्थान देने के लिये |
ReplyDelete