नशा

जब भी मे तुम्हारे बारे मे सोचता हु
उस वक़्त मुझे और किसी की चाह नही रहती
जाने कब तुम  मेरे दिल से होकर दिमाग मे पहुच गई
और मुझे पता भी ना चला
आज जब भी तुम्हे महसूस करता हु
मुझे एक नशा सा हो जाता है 
और मुझे किसी और नशे की चाह नही रहती |

No comments:

Post a Comment

गुज़रे पल और आज का शोर

Analyser/Observer धीरज अपनी पुरानी डायरी के पन्ने पलट रहा था। पृष्ठ हल्के पीले पड़ गए थे और स्याही थोड़ी फीकी। आज की भाग-दौड़ वाली दुनिया से...