ये कैसा भाईचारा

रोज चीखते हो 
कोई कुछ नही कर रहा यहा 
जरा ठहरो 
खुद ही से पूछो 
तुमने अब तक ऐसा क्या किया |

तुमने अपने भतीजे को नौकरी लगवाया 
अपनी ही फैक्टरी मे उसको काम दिलवाया 
किसी और का टिकट कटवाया 
तब जाकर कही उसका नम्बर आया |

काबिल ना देखा तुमने 
तुमने देखा तुम्हारा वफादार 
जो भरे तुम्हारी 
हुँकार मे हुँकार |

चाचा के दम पर 
आज देखो छोरा ऊँचल रहा 
गली गली 
हर गली मे वो पसर रहा |

रो तो वो रहा है 
जिसके मुँह की तुमने खायी 
क्या करे खुदा भी 
तुमने उसकी ऐसी किस्मत बनायी |

बँटवारे का जहर 
तुम ही घोल रहे हो 
अब चीख चीखकर व्यथा अपनी 
तुम कैसे बोल रहे हो |

एक तुम्हारा सगा 
दूसरे को तुमने पराया कर दिया 
लालच मे अपने तुमने 
ये कैसा भाईचारा कर दिया |

बेबस तुम्हारे कर्मो से 
अब देश हो रहा है 
बडा सुनहरा था जिसका सपना 
आज वो खो रहा है |

©Ashok Bamniya


16 comments:

  1. बहुत खूब..श्रीमान !
    👌👌👌

    ReplyDelete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ कृपया शुक्रवार को गुरुवार पढ़िए।
      धन्यवाद
      सादर।

      Delete
    2. मेरी रचना को स्थान देने के लिए
      आभार

      Delete
  3. जरूरी है लिखना। सटीक।

    ReplyDelete
  4. एकदम सटीक.... बहुत खूब...

    ReplyDelete
  5. वाह सटीक यथार्थ को टोहती धारदार रचना।

    ReplyDelete
  6. वाह! बहुत बढ़िया।
    देशप्रेमी!

    ReplyDelete
  7. धन्यवाद श्रीमान

    ReplyDelete

My love for my brother

Analyser/Observer When i am going to balance my havings, i found your side is heavier than any one else my dear brother.