रोज चीखते हो
कोई कुछ नही कर रहा यहा
जरा ठहरो
खुद ही से पूछो
तुमने अब तक ऐसा क्या किया |
तुमने अपने भतीजे को नौकरी लगवाया
अपनी ही फैक्टरी मे उसको काम दिलवाया
किसी और का टिकट कटवाया
तब जाकर कही उसका नम्बर आया |
काबिल ना देखा तुमने
तुमने देखा तुम्हारा वफादार
जो भरे तुम्हारी
हुँकार मे हुँकार |
चाचा के दम पर
आज देखो छोरा ऊँचल रहा
गली गली
हर गली मे वो पसर रहा |
रो तो वो रहा है
जिसके मुँह की तुमने खायी
क्या करे खुदा भी
तुमने उसकी ऐसी किस्मत बनायी |
बँटवारे का जहर
तुम ही घोल रहे हो
अब चीख चीखकर व्यथा अपनी
तुम कैसे बोल रहे हो |
एक तुम्हारा सगा
दूसरे को तुमने पराया कर दिया
लालच मे अपने तुमने
ये कैसा भाईचारा कर दिया |
बेबस तुम्हारे कर्मो से
अब देश हो रहा है
बडा सुनहरा था जिसका सपना
आज वो खो रहा है |
©Ashok Bamniya
बहुत खूब..श्रीमान !
ReplyDelete👌👌👌
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी, त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ कृपया शुक्रवार को गुरुवार पढ़िए।
Deleteधन्यवाद
सादर।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए
Deleteआभार
जरूरी है लिखना। सटीक।
ReplyDeleteधन्यवाद सुशील जी
Deleteवाह !! खूब कहा 👌
ReplyDeleteधन्यवाद अनिता जी
Deleteएकदम सटीक.... बहुत खूब...
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जी
Deleteवाह सटीक यथार्थ को टोहती धारदार रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद कुसुम जी
Deleteवाह! बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteदेशप्रेमी!
धन्यवाद श्रीमान
ReplyDeleteसत्य वचन
ReplyDeleteधन्यवाद जी
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