Analyser/Observer
जिन्दगी जब आपकी तमाम खुशीयाँ छिनने पर आ जाये
जब आपकी आँखे आँसुओ की जगह लहू उगलने लगे
सुविचार और कुविचार की जंग दिमाग मे चलने लगे
सद्भावनाये आहत हो अन्दर ही मरने लगे
होंठो पर एक प्रशन छोडती मुस्कान आने लगे
भरी जवानी मे चेहरे पर बुढापा छाने लगे
आप दुआ मे खुद की मौत माँगो
ओर लबो पर आपके मुस्कान आने लगे
जब अपने ही चेहरे छुपाने लगे
खुद को नकाब ओढाने लगे
जब गैर पर्दा हटाने लगे
सूरज की चमक आपको दिखाने लगे
वो परिंदे नादान नही जिनके पंख उग आने लगे
नादान तो आप है जो उनको ऊँची उडान का सपना दिखाने लगे
उनसे अब भी क्या आस लगा ये बैठे हो
घाव अभी तक भरे नही है उनके दिये
झांक कर देख लो अपनी ही जेब मे
मरहम जो अब तक छुपाये बैठे हो
मौत मासूम है
तुम पर तरस खा जायेगी
क्यो अब बुला रहे हो उसको
वो बुलाने से भी ना आयेगी
हे जिन्दगी जानलेवा
पल पल तुम्हे खायेगी
इतना आसान नही है इससे बच पाना
ज़िल्ल्त क्या होती है
इसका अहसास तुम्हे करायेगी |
जिंदगी बहुत खूबसूरत है ग़म कुछ पल के मेहमान होते है,मिलते और चले जाते है,हौसला रखो और अपनी रचना में झलकाओं.. ..बहुत मार्मिक रचना
ReplyDeleteलिखे काफी समय हो गया सोच मे था पोस्ट करू या ना करू ..थोडा अलग हे संवेदनाओ को हर ओर से बिखेरने और समेटने की कोशिश मात्र की है| धन्यवाद प्रतिक्रिया के लिये
Deleteमात्राओं को टंकित करते समय ध्यान रखेंगे तो और सुन्दरता दिखेगी।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteमायूसियों में डूबी मन की व्यथा.... बहुत खूब....
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