आइने बदल जाते हे मुलकातो के दरमियान
.
फासले सिमट जाते हे मुलाकातो के दरमियान
,
चाहते कुछ खुल सी जाती हे
रंजिशे मन कि धुल सी जाती हे
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मुलाकातो के दरमियान
यकिन कुछ कुछ होने लगता हे
डर मन से कुछ कुछ खोने लगता हे
.
मुलाकातो के दरमियान
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साथी नये मिल जाते हे
दिन भी कुछ सँवर जाते हे
अपना कहने को
अपना होने को
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