ये लाल कैसे हो गया
गुलाल तो डाला नही
गुलाल कैसे हो गया
आहट कोई हुई नही
तुम दर से मेरे कब गये
प्यार तो बढा नही
मुस्किले हुई खडी
मुस्किले हुई खडी |
माना दिल मे तेरे
मोह्ब्बत का आगाज ना था
मैने भी तुमसे कभी
माँगा ताज ना था |
किले खुशहाली के
हवाओ से ढह गये
आयी जो बरसात तो
पहाड भी बह गये
पहाड भी बह गये |
सूरते जनाब से
हाल हमको दिख गया
आइने सा साफ रंग
लाल अब से हो गया |
वाह! बहुत बढ़िया!!!
ReplyDeleteधन्यवाद Vishwa Mohan Ji
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