Analyser/Observer
कर गयी तुम उर को मेरे रिक्त
मन हो उठा मेरा अब विरक्त
होंठो की लाली भी छूट गयी
जब से हर्दयप्रिया तुम रुठ गयी |
अरमान अहसासो के पल भर मे ही तोड गयी
आधे ही सफर मे मुझे अकेला छोड गयी |
कसमे वादे सबको बेसहारा छोड गयी
महबूबा मेरी तुम मुझसे ही मुँह मोड गयी |
मन अब तुम्हारे अहसास से दुख पाता है
नींद मे तुम्हारा चेहरा भी डराता है |
अबोध अपना आपा अब खोता है
कही भाग जाने को दिल अब ये होता है |
अपनायी तुमने कैसी ये सख्ती
तन्हा अकेला छोड चली तुम
रह गयी मुझ संग
बस अब विरक्ति |
बाँधी तुमने अपनी आंखो पर तिरस्कार की पट्टी
मुझ मे विचरती अब तेरी विरक्ति |
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद अंकिता जी ...
Deleteसुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद जी
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