प्रश्न

माँझी हमे उस किनारे पर मत ले जाना
जन्हा हुकुम्ते सारे आम बिकती है
कागजो मे जिन्द्गिया दफन हो जाती है
किस्मत के भरोसे साँस तक तडपती है
वही पुराना दरवाजा
जहा निगाहे मेरी रोज जाती है
उम्मीदे हर दफा खाली हाथ लौट आती है

प्रश्न मेरे मन मे बार बार ये उठता है
जब दे रही तुमको
सुख का हर साधन 
ये जमी ,ये जनता

फिर  ये आरी 
क्यू इनका हि गला रेत रही
क्यू पद लेते ही
इनकी लाहू पिपासा जाग जाती है
पेट इनका सोने की रोटीयो से भी नही भरता
प्रश्न मेरे मन मे हर बार हेये उठता

माँझी हमे उस किनारे पर मत ले जाना
जन्हा हुकुम्ते सारे आम बिकती |

No comments:

Post a Comment

Truth of Love

Analyser/Observer Love the one, who love the one.