लोग अपनी जिद मे जल गये
जो आज यहा नही है
वो कल गये
करते थे घमंड
अपनी बाजुओ केबल का
तन, मन , धन
उनका सब गया
करते थे बाते
पाषानो से पानी निकालने की
जितना आंख मे
पानी था उनके
वो सब गया
सपने भी टूटे
अपने भी रूठे
बंगला उनका
अब भी सलामत है
पर उनका घर गया
ललचायी आंखो से ताकना
भूखे भेडियो सा भाकना
सब को चूहे समझ
खुद को बिल्ली आंकना
सब धरा का धरा रह गया
जब उनका वो पद गया |
पद की महिमा ऐसी ही होती है ...
ReplyDeleteइसलिए प्रेम अर्जित करना चाहिए ... अच्छा लिखा है ...
सही कहा आपने..धन्यवाद सर
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