एक बार हमे आजमाते क्यू नही
हम इतने बुरे है क्या ,
हमे गले से अपने लगाते क्यू नही
चाहते है तुमको दिलोजान से
थोडे शर्मिले है
जताते हम यू नही ,
तुम्हे देखते ही
हमारा दिन बन जाता है
तुम हमसे नजरे मिलाते क्यू नही ,
पास से गुजर जाते हो
ठंडी ब्यार बनकर
हमे देखकर
अनजाने मे ही
हवा मे हाथ हिलाते क्यू नही ,
दिल मे रखना चाहते हे तुमको
हमे अपने माथे का तिलक बनाते क्यू नही ,
एक बार हमे आजमाते क्यू नही |
ashokbamniya.blogspot.com
हम इतने बुरे है क्या ,
हमे गले से अपने लगाते क्यू नही
चाहते है तुमको दिलोजान से
थोडे शर्मिले है
जताते हम यू नही ,
तुम्हे देखते ही
हमारा दिन बन जाता है
तुम हमसे नजरे मिलाते क्यू नही ,
पास से गुजर जाते हो
ठंडी ब्यार बनकर
हमे देखकर
अनजाने मे ही
हवा मे हाथ हिलाते क्यू नही ,
दिल मे रखना चाहते हे तुमको
हमे अपने माथे का तिलक बनाते क्यू नही ,
एक बार हमे आजमाते क्यू नही |
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सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अंकित जी
DeleteNice
ReplyDeleteThank you Deepshikha
Deleteसुंदर अति सुंदर रचना अशोक जी..
ReplyDeleteधन्यवाद सुप्रिया जी
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अनुराधा जी
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