लाखो के ढेर पर
नाच करना
अब शौक तुम्हारा
हो गया
भूल गया तु
जनता को अपनी
तु अपनो का
सहारा हो गया
भूल गया तु
हमने ही तुझको
अपनी सर आंखो
पर बिठाया था
वक़्त तेरा क्या बदला
जालीम
तु तो
दुश्मन हमारा ही हो गया |
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