Analyser/Observer
कही निगाहे मेरी
तुम्हे शर्मिन्दा ना कर दे
तुम्हारे चेहरे पर
हजारो पहरे है |
तुम्हारे चेहरे से
जो सुकून बरसता है
हम तो आज भी
उसी के लिये
इस कोने मे ठहरे है |
समझो
अगर निगाहे तुम्हारी
पकड ले कही मुझको
अपने चेहरे पर
मेरी पहचान आने ना देना |
लब जो अगर थरथरा उठे
कही जल्दी मे
मेरा नाम ना लेना |
मेरी अब वो
हस्ती ना रही
कि सम्भाल पाऊ
तुम्हारे मोतियो को |
खुश हु , मेरे बाद भी
तुम्हारी मुस्कान जिन्दा है |
धागे जो तुम्हारे
उलझ गये है मुझसे
उन्हे यूँही उलझा छोड जाओ |
एक गाँठ अब नयी बाँधी है
तो अब इसे सिद्दत से निभाओ |
©Ashok Bamniya
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