छलावा प्यार का

Analyser/Observer

ऐ मेरी वफा ए मोह्ब्बत 
तु मुझे अँधेरे मे बुलाती क्युँ है 
यकीन मैने तेरा किया है 
तु उजाले से घबराती क्युँ है  |

तुझसे वफा निभाने को 
ना-जाने  कौन-कौनसी बाते 
हर मोड को होती हुई 
मेरे घर को पहुँची 
क्या अब भी कुछ बाकी रह गया 
तु मुझे चुपके से बुलाती क्युँ है | 

यकीन कर लू ना तुझ पर 
एक यही सच मुझ पर भारी है 
समझ से मेरे परे है 
अँधेरे मे मिलना ही तेरी लाचारी क्युँ है |

कई सवाल खडे थे राह मे 
सबको अनसुना छोड दिया 
सँकेत कई हुए शक के 
मैने सबसे मुख अपना मोड लिया 
कई चेहरे सवालो के हताश हुए 
लजाते उनको छोड दिया 
केवल तेरे एक बुलावे पर 
मैने सपनो को अपने मोड  लिया |

अब भी स्थिर नही अगर 
ये अल्फाज वफा के 
तो क्या मेरा हश्र होगा 
सवाल भी तबाह हुए अगर 
इससे बुरा क्या हश्र होगा | 



2 comments:

  1. यकीन कर लू ना तुझ पर
    एक यही सच मुझ पर भारी है
    समझ से मेरे परे है
    अँधेरे मे मिलना ही तेरी लाचारी क्युँ है |...बहुत सुन्दर रचना
    सादर

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My love for my brother

Analyser/Observer When i am going to balance my havings, i found your side is heavier than any one else my dear brother.