अभिमान

कुछ पढा
कुछ लिखा
और बडी हुई मै

देखा जमाने को
टाँग मेरी खिचते
मुझे गिराने कि कोशिश 
लाख हुई
पर तन कर 
विरोध मे 
खडी हुई मै

गैरो का क्या है 
जो नही देखते 
वो भी बोलते 
शिकायत तो अपनो से है 
जिन के साथ 
पली बडी हुई मै 

वो मेरी सोच जानते
मुझे अन्दर से
पहचानते

मुझे जिग्याषा है
मै खुद को जानु 
अपने अन्दर कि
शक्ति को पहचानु 

मेरा लक्ष्य
मेरा अभिमान है
जिसको मुझे पाना है
फर्क मुझे कुछ नही पडता
कौन दे रहा
मुझे क्या ताना है |

8 comments:

  1. वाह !!! लाजवाब ...👌👌👌

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  2. बहुत ख़ूब ।।।
    ख़ुद ही खड़ा रहना होता है ... डटे रहना है ...

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  3. धन्यवाद श्रीमान सुझाव देने के लिये| दुरस्त करने की कोशिश करूँगा | अपना प्रेम यूँही बनाये रखे |

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Truth of Love

Analyser/Observer Love the one, who love the one.