व्यथा

इस डर से की तुम्हे चोट पहुचेगी
मेने खुद को रोक  लिया
करने से
जो मै
करना चाहता था |

तुमने हर बार मुझे
अपनी आंखो के आँसू दिखाये
और मैने भी देखे
शायद मै ही देख  सकता था |

तुमने मुझे अपने  आँसुओ मे बाँधा
और मेरे आँसू तुम ना देख पाये

तुमने अपनो को अपनो से
जुदा करने का हर  काम किया

तुम्हारी शय पर
अपने ही अपनो पर  नाचे
पैरो तले अपनो ने अपनो को रोन्दा|

तुमने उन्हे मन  दिया
तब तक तो ठीक था
तुम्हारा धन पाकर
उन्होने तुमको ही ठोकर मार दी |

अब अपना माथा पिटते हो
जब देखने वाले
अंदर से मर गये

मेरे सब अधिकार  छीने
मै कितना लाचार  हुआ
शरीर क्या करे
जब आत्मा ही मर जाये |

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Truth of Love

Analyser/Observer Love the one, who love the one.