एक सच ऐसा भी

Analyser/Observer


जब मैं खुद को देखता हूँ, 
तो मुझे तुम दिखती हो, 
क्या ये वक़्त का इशारा है, 
या ये मेरी ही नजरो का धोका है। 

बांध रखा है शायद मैंने, 
अपने ही अंतर मन को
तुम्हारे ध्यान से, 
सोच से मेरे परे हो नही रही तुम
सोच का मेरा दायरा भी, 
तुम तक ही सिमटा जा रहा। 

सच कहु तुमसे तो , 
जितनी भी रूहानी बाते है, 
मैं तुमसे ही करना चाहता हूँ। 

सँग तुम्हारे ही चलना चाहता हूँ, 
सँग तुम्हारे ही जीना चाहता हूँ। 
हर स्वपन मे मेरे अपनी इस,
परिकल्पना के साकार होने की तमन्ना लिये, 
स्वपनो की चादर ओढे सोता हूँ।

इस इंतजार मे की शायद वो दिन आयेगा, 
जब तुम अपने चेहरे की किरणो से, 
मुझे मेरे स्वपनो से जगाओगी। 
©Ashok_Bamniya

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My love for my brother

Analyser/Observer When i am going to balance my havings, i found your side is heavier than any one else my dear brother.