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आबो-हवा

वो दिन कब मुझे मुक़्क़मल होगा 
पलके भीग जाएगी और 
मन संतृप्त होगा 
ऐ ज़िन्दगी , अब तेरी 
आबो - हवा 
मुझे भाती नहीं 
धड़कती धड़कन भी मुझे 
सुहाती नहीं 
फिर तुझसे मिलने को 
दिन मिलना 
दुभर होगा |

सपना

तुम मेरी सुनो 
दिल से अपने कहो 
 आवाज ना करो 
वक़्त पर मै ही 
तो तुम्हारे काम आया था 
सोच कर देखो 
तु साथ अपने क्या लाया था 
मेरी हर बात मे 
मै समझता हु 
तुम्हारी हामी है 
फिर किस बात पर मेरी 
तुमने अपनी साँस थामी  है 
हाँ मै  मानता हु 
मेरा वजूद तुम्हारा है 
पर एक गलती हो गयी मुझसे 
मैंने एक अपना 
अपने अंदर पाला है 
प्यारा मुझको भी है 
वो उतना 
जितना मै आप को हु 
कहो तो मार दू उसको 
उसके बिना ज़िन्दा 
मै भी ना हु | 



हाल

मंजर - मंजर  मन  भटकता 
आँखे आग सी लाल हुई 
माटी चोला सब बिक गये 
ज़िन्दगी अब कंगाल हुई 
भावनाओ की राह पर चलकर 
ख्वाइशे सारी ख़ाक हुई 
जहर - जहर बाहर दिखता 
जहर  ही अब भीतर हुआ 
चन्दन सरीका मन 
कोयले सा तम हुआ ?


भार

ज़िन्दगी को मौत से भी वीराना बना दो 
कि अब खुशी का अहसास होने ना पाये 
रूह तुम अपनी रुमानियत जला दो 
कि अब दाता की समीपता भी मर सी जाये 
ऐ शरीर तु अब सफेदी को अपना लिबास बना ले
कि अब कही काला मन तेरा दिख ना जाये 
ऐ जुबा अब मिठास को तु कडवाहट बना ले 
कि अब कही तेरे मौन का हनन हो ना पाये 
रहनुमा कि मिल्खियत एक जाल है 
हो सके तो खुदको तु अब इससे छुडाले 
कि अब भावनाये सरोबार तुझमे हो ना पाये
ज़िन्दगी को मौत से वीराना बना दो
कि अब खुशी का अहसास होने ना पाये |

कवि

कुछ कवि ऐसे होते है
जमाने की भीड़ मे
खूब हँसते है
अकेले मे
अंदर ही अंदर
खुद को
पढ-पढ कर रोते है |

हालात ए हिंसा
इनको हर जगह नजर आती है
कलम के सिपाही
कलम को बन्दूक बना
रात-रात नही सोते है |

कलम का लहू
अब किस पर चढता है
यहा तो बस अब
आडे-टेढे मुह वाला
सामान बिकता है |

अब दवाते कहा रही
मेरे खुद की कलम की
नोक खो गयी |

बटनो के सँसार मे
विचारो को कौन पढता है
यहा तो सब
चिट-चाट मे व्यस्त रहता है |

मै

तुम कहती हो तुम सच नही
झूठ तो मे भी नही हु
तुम कहती हो तुम्हारा अस्तित्व नही
अस्तित्व तो मेरा भी है
तुम कहती हो तुम्हारीआत्मा नही
आत्मा तो मुझमे भी है
तुम कहती हो तुम मुक़्त नही
मुक़्त तो मे भी हु
तुम कहती हो तुम्हारा घर नही 
घर तो मेरा भी है
तुम कहती हो तुम मे उम्मीद नही
उम्मीद तो मुझमे भी है
तुम कहती हो तुम सुरक्षित नही
सुरक्षित तो मे भी हु |

इज्जत का बोझ तुम ओढे हो
मुझ पर कोई बोझ नही
जिम्मेदारियो का लिबास तुम पहने हो 
मेरा कोई लिबास नही
तुम्हे प्यार की चाहत है 
मेरा कोई प्यार नही
संसार तुम्हारे लिये बदलता नही
मेरे लिये ना बदले 
ऐसा कोई संसार नही |

तुम मुझको पाना चाहती हो 
तो मुझ जेसा बनना होगा
ऐब हे मुझमे बहुत सारे
तुम्हे भी एक-आध ऐब करना होगा |