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हाल

मंजर - मंजर  मन  भटकता 
आँखे आग सी लाल हुई 
माटी चोला सब बिक गये 
ज़िन्दगी अब कंगाल हुई 
भावनाओ की राह पर चलकर 
ख्वाइशे सारी ख़ाक हुई 
जहर - जहर बाहर दिखता 
जहर  ही अब भीतर हुआ 
चन्दन सरीका मन 
कोयले सा तम हुआ ?


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