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बेखबर जज्बाती

वो रातों को जगता है शायद उसकी नींदों को किसी ने चुरा लिया
बेबस नहीं
खुश है अब
शायद अब
अपनो ने उसको अपना लिया
बेख्याली मे था लिया फ़ैसला
ज़िन्दगी थी उससे रूठ गयी
साथ मिला क्या तेरा कुछ पल
उसकी तो हँसी ही छुट् गयी
लफ्ज अब शिकायत नहीं करते
डरते है शर्मिंदा है
क्या सामना करे गैरो का
अपने ही कातिल जिन्दा है
रूह तक जहर उतर चुका
सांसे भी रक्त से सनी हुई
आबाद सियासत पहले थी
अब अपनी ही लकड़ी जली हुई
दिन रूठे
मनाने का समय नहीं
अपनो को जताने का समय नहीं
बेखबर जज्बाती
अब मुस्कुराने का समय नहीं।
#बेखबर_जज्बाती
©Ashok_Bamniya


किरदार



जिन्दगी एक किरदार ही तो है,
वक़्त आने दो ये भी बदलेगी।
अभी तो जमीन पर
कोई हलचल नही दिख रही
भुचाल आने दो
ये भी धँसेगी ।
उम्मीदों की पोट ली
जो बाँध रखी है
दिमाग मे ।
खोल दो
कि ये फिर ना खुलेगी ।
शिकायतें जो भी है
अब बता भी दो ।
फिर करोगे किससे
रहनुमा तो अब रहे नही ।
हँसी बाँट रहे हो ना
जो लोगो मे ।
तुम्हारे बहुत करीब का
तालाब तुम्हे दिखाई नही देता ।
ठीक से देखो
अब दीवारे तालाब की
कमजोर
बहुत कमजोर
हो गयी है ।
समय है अब भी
संभाल लो इसको
कि फिर ये तुमसे ना संभलेगी ।
जिन्दगी एक किरदार ही तो है,
वक़्त आने दो ये भी बदलेगी।
©Ashok_Bamniya

ख्याल

तुम मुझसे नही आइने से पूछो अपनी खुबसुरती के बारे मे, मेरा तो बस यही ख्याल है कि तुम्हे देखने के बाद मेरा ओर कोई ख्याल ना रहा।


उलझने

कहा तक संभाले अपने आप को, उलझने जिन्दगी की है जो कि खत्म नही होती। ©Ashok_Bamniya



ईमान

डोला डोला डोला
ईमान डोला
आज फिर एक सडक का लडका
टावर पर चढ कर बोला
डोला डोला डोला
ईमान डोला
इसका उसका
किसका किसका
ईमान डोला
वादे सारे मर गये
लुटी लंका अपने घर गये
बिन पानी ही तर गये
डोला डोला
ईमान डोला
खुद बन बैठा मगर
मछली हमको बना दिया
तालाब था सारा भरा
अकेला सब पचा दिया
डोला डोला
ईमान डोला
अब फिर कोई नया देवता बन आयेगा
हमको मीठी चाय पिलायेगा
हमारे ही घर खाना वो खायेगा
हमसे अपने बर्तन साफ करवायेगा
अगर अब भी उसको ना समझे तो
सारा का सारा घर वो खा जायेगा
डोला डोला
ईमान डोला
इसका उसका
किसका किसका
ईमान डोला
देखो उसको
अब तो कुछ सीख लो
ऐसा ना करो
कि अपनी आंखे भींच लो
लालच लालच का
अब नाम ना हो
शहर अब अपने कर्मो से ओर
बदनाम ना हो
पहले खुद को
तो मे शुद्ध करू
ज्यादा नही पर
थोडा सा तो प्रबुद्ध करु
डोला डोला
ईमान डोला

@Ashok Bamniya

याद

कब तलक तुम मुझे याद करोगे -2
रोओगे हजार बार याद मे मेरी
क्या उसके बाद भी मुझे याद करोगे
कब तलक तुम मुझे याद करोगे|

किताबे मेरी मेज पर जो थी पडी
चादर मेरी जिसपर सल्वटे थी सजी
क्या उनसे लिपटकर
याद मुझे बार-2 करोगे
कब तलक तुम मुझे याद करोगे |

फूल जो आँगन मे खिला
खडा-2 मुरझा गया
पानी मिला नही
माटी मे समा गया
मन के द्वार खोले कि
भेंट उनसे हो गयी
खिडकी से तेज किरण
आँखो पर पड रही
तेज इतना हुआ की
अँधेरा अब दिख रहा
नजर जहाँ तक गयी देखा
यहाँ हर कोई बिक रहा |-2

आखरी बात

Analyser/Observer

गम नही मुझे इस बात का भी कि मै तुझे खो दूँगा |
इससे ज्यादा ओर क्या होगा ,मै थोडा ओर रो दूँगा |
© Ashok Bamniya


आशकी

Analyser/Observer

कही निगाहे मेरी 
तुम्हे शर्मिन्दा ना कर दे 
तुम्हारे चेहरे पर 
हजारो पहरे है |

तुम्हारे चेहरे से 
जो सुकून बरसता है 
हम तो आज भी 
उसी के लिये 
इस कोने मे ठहरे है |

समझो 
अगर निगाहे तुम्हारी 
पकड ले कही मुझको 
अपने चेहरे पर 
मेरी पहचान आने ना देना |

लब जो अगर थरथरा उठे 
कही जल्दी मे 
मेरा नाम ना लेना |

मेरी अब वो 
हस्ती ना रही 
कि सम्भाल पाऊ 
तुम्हारे मोतियो को |

खुश हु , मेरे बाद भी 
तुम्हारी मुस्कान जिन्दा है |

धागे जो तुम्हारे 
उलझ गये है मुझसे 
उन्हे यूँही उलझा छोड जाओ |

एक गाँठ अब नयी बाँधी है 
तो अब इसे सिद्दत से निभाओ |

©Ashok Bamniya


छलावा प्यार का

Analyser/Observer

ऐ मेरी वफा ए मोह्ब्बत 
तु मुझे अँधेरे मे बुलाती क्युँ है 
यकीन मैने तेरा किया है 
तु उजाले से घबराती क्युँ है  |

तुझसे वफा निभाने को 
ना-जाने  कौन-कौनसी बाते 
हर मोड को होती हुई 
मेरे घर को पहुँची 
क्या अब भी कुछ बाकी रह गया 
तु मुझे चुपके से बुलाती क्युँ है | 

यकीन कर लू ना तुझ पर 
एक यही सच मुझ पर भारी है 
समझ से मेरे परे है 
अँधेरे मे मिलना ही तेरी लाचारी क्युँ है |

कई सवाल खडे थे राह मे 
सबको अनसुना छोड दिया 
सँकेत कई हुए शक के 
मैने सबसे मुख अपना मोड लिया 
कई चेहरे सवालो के हताश हुए 
लजाते उनको छोड दिया 
केवल तेरे एक बुलावे पर 
मैने सपनो को अपने मोड  लिया |

अब भी स्थिर नही अगर 
ये अल्फाज वफा के 
तो क्या मेरा हश्र होगा 
सवाल भी तबाह हुए अगर 
इससे बुरा क्या हश्र होगा | 



सब ठीक तो है ना

Analyser/Observer

अब तो बस 
जी चाहता है  
कोई अपना  
पूछ ले 
सब ठीक तो है ना |
और मै जोर से
रो दू 
पिघला दू 
उन आँसुओ को 
जो हर्दय-तल मे 
जम गये है | 
जो आँखो मे 
दिखायी नही देते |

व्यर्थ के भावो ने 
जो पाश मुझ पर डाला है 
एक-एक  कर उसके सारे बँधन मै खोलू 
जुबा जो अब तक 
प्रकट कर रही थी किसी ओर को 
उससे अब स्वयं को बोलु | 

अब तो बस 
जी चाहता है 
कोई अपना  
पूछ ले 
सब ठीक तो है ना | 

©Ashok Bamniya


तनाव

Analyser/Observer

जब हम अकेले होते है 
अँधेरे कमरो मे 
अकसर रो जाते है |

मन कि कुन्ठा 
बहा अश्रुओ मे 
चैन का बनाकर बिस्तर 
दर्द की चादर ओढकर 
सो जाते है |

आँखे मुंदी कि  कोई  आवाज 
पास हमारे आती है 
चेहरा अभी-भी सुखा नही है 
कि वही बाते फिर से हमे सताती है 
लुटा आये हम अपने ही हाथो 
अपने जज्बातो की जमीन को 

हे धर स्थिर 
चित्त अब शरीर छोड चला 
मन के भाव जो भी थे | 
एक मैल उनमे घुल गया 
हर तरफ स्याह फैला 
तु कौन था , किधर गया | 

घाव ये गहरे 
भाव अब मुख पर आते नही 
लाज़िम है अब तो 
हम किसी से कुछ कह पाते नही |

साँसे भी अपनी 
अब बदबूदार हुयी 
खुद ही , खुद से 
खुद की ये गुनहगार हुयी |
©Ashok Bamniya

Audio file तनाव
https://youtu.be/vQ7gQwnU3jk

Tanaav



यकीन

Analyser/Observer


यकीन है नही 
या यकीन हो रहा 
जुबान चुप हुयी 
मै खुद मे खो रहा 
बात कुछ नही 
पर बाते हो रही 
सुनाई दे रहा 
पर मै कुछ ना कह रहा 
वफा खत्म हुयी 
अब तुम भी मौन हो 
मै मुस्कुरा उठा 
जवाब मै भी ना दे रहा 
शिकायत मुझसे थी 
तो अब कह भी दो 
छुपाने के मायने भी 
अब खत्म हो चुके |

©Ashok_Bamniya 


AUDIO LINKhttps://youtu.be/o-QOsCy9Xhw
https://youtu.be/o-QOsCy9Xhw