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सब ठीक तो है ना

Analyser/Observer

अब तो बस 
जी चाहता है  
कोई अपना  
पूछ ले 
सब ठीक तो है ना |
और मै जोर से
रो दू 
पिघला दू 
उन आँसुओ को 
जो हर्दय-तल मे 
जम गये है | 
जो आँखो मे 
दिखायी नही देते |

व्यर्थ के भावो ने 
जो पाश मुझ पर डाला है 
एक-एक  कर उसके सारे बँधन मै खोलू 
जुबा जो अब तक 
प्रकट कर रही थी किसी ओर को 
उससे अब स्वयं को बोलु | 

अब तो बस 
जी चाहता है 
कोई अपना  
पूछ ले 
सब ठीक तो है ना | 

©Ashok Bamniya


11 comments:

  1. Replies
    1. धन्यवाद रविन्द्र जी

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  2. मन के भावों को बहुत सुन्दर मोतियों में पिरोया है
    सादर

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  3. सब ठीक तो है ना .....


    पधारिये- ठीक हो न जाएँ 

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  4. जब मन भर जाता है तब ऐसा ही लगता है कि कोई तो हो अपना जिसे बतायें और रो लें ....
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...।

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    1. धन्यवाद सुधा जी ... सब ठीक तो है ना

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  5. धन्यवाद पम्मी जी मेरी पंक्तियो को स्थान देने के लिये |

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