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किरदार



जिन्दगी एक किरदार ही तो है,
वक़्त आने दो ये भी बदलेगी।
अभी तो जमीन पर
कोई हलचल नही दिख रही
भुचाल आने दो
ये भी धँसेगी ।
उम्मीदों की पोट ली
जो बाँध रखी है
दिमाग मे ।
खोल दो
कि ये फिर ना खुलेगी ।
शिकायतें जो भी है
अब बता भी दो ।
फिर करोगे किससे
रहनुमा तो अब रहे नही ।
हँसी बाँट रहे हो ना
जो लोगो मे ।
तुम्हारे बहुत करीब का
तालाब तुम्हे दिखाई नही देता ।
ठीक से देखो
अब दीवारे तालाब की
कमजोर
बहुत कमजोर
हो गयी है ।
समय है अब भी
संभाल लो इसको
कि फिर ये तुमसे ना संभलेगी ।
जिन्दगी एक किरदार ही तो है,
वक़्त आने दो ये भी बदलेगी।
©Ashok_Bamniya

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