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समय

ज़िन्दगी जब तुझसे मिलूँगा 
तब बेइंताह मोहब्बत करूँगा तुझसे 
अभी खुद मे व्यस्त हु थोडा सा
अभी ज़िम्मेदारिया मेरी कुछ नही
पर ज़िम्मेदरियो का बोझ ओढे खडा हु मै
वक्त हावी हे अभी मुझ पर 
मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी 
अभी तो मुझे घर मे अपने चुल्हा जलाना है
रोटी सेकने के लिये तवा खरीदना है
अपनो को खिलाना है
फिर खुद खाना है
अपने वजूद का सहारा धुन्ढ रहा हु मै
ज़ज़्बात कही अपने दिल  मे दबाये बैठा हु
समन्दर मे खडा किनारा धुन्ढ रहा हु मै
हे  यहा हमसफ़र मेरा कोई नही
किसी नजर का इशारा धुन्ढ रहा हु मै
खुद से प्रशन है खुद को  बचाने का
बुढापे का अपने सहारा  धुन्ढ रहा हु मै
ज़िन्दगी जब तुझसे मिलूँगा 
तब बेइंताह मोहब्बत करूँगा तुझसे|

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