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शायद कल कुछ अच्छा होता

Analyser/Observer

 कुछ जरूरतें है इस जिंदगी की 
जो शायद पूरी होती तो 
शायद कल कुछ अच्छा होता 
यहां अभी कोई कहां रो रहा  है 
देखो इन गलियों  से  
मकानों से 
कोई आवाज भी तो नहीं आ रही 
 मगर अगर कोई मुस्कुराता
खिलकर ठहाके लगाता
तो शायद कल कुछ अच्छा होता 
मजबूत रस्सिया भी अच्छी है 
अगर ना होती है जंजीरे भी तो
शायद कल कुछ अच्छा  होता
कमाया कुछ नहीं अभी तक  मैंने
जो भी मेरा जमा था
 वह सब तो तुमने ले लिया
  इसके बाद भी अगर तुम रुक जाते तों
शायद कल कुछ अच्छा होता
 अपनी ही जमीन पर अजनबी बने बैठे हैं 
अगर होता कोई  जानकार तो  
शायद कल कुछ अच्छा होता
मेहरबानी इतनी रही तुम्हारी मुझ पर 
सांसे भी मेरी 
 तुम्हारी उधार है
 अगर होता नहीं कोई बंधन अपनेपन का 
तो शायद कल कुछ अच्छा होता |

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