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आशकी

Analyser/Observer

कही निगाहे मेरी 
तुम्हे शर्मिन्दा ना कर दे 
तुम्हारे चेहरे पर 
हजारो पहरे है |

तुम्हारे चेहरे से 
जो सुकून बरसता है 
हम तो आज भी 
उसी के लिये 
इस कोने मे ठहरे है |

समझो 
अगर निगाहे तुम्हारी 
पकड ले कही मुझको 
अपने चेहरे पर 
मेरी पहचान आने ना देना |

लब जो अगर थरथरा उठे 
कही जल्दी मे 
मेरा नाम ना लेना |

मेरी अब वो 
हस्ती ना रही 
कि सम्भाल पाऊ 
तुम्हारे मोतियो को |

खुश हु , मेरे बाद भी 
तुम्हारी मुस्कान जिन्दा है |

धागे जो तुम्हारे 
उलझ गये है मुझसे 
उन्हे यूँही उलझा छोड जाओ |

एक गाँठ अब नयी बाँधी है 
तो अब इसे सिद्दत से निभाओ |

©Ashok Bamniya


छलावा प्यार का

Analyser/Observer

ऐ मेरी वफा ए मोह्ब्बत 
तु मुझे अँधेरे मे बुलाती क्युँ है 
यकीन मैने तेरा किया है 
तु उजाले से घबराती क्युँ है  |

तुझसे वफा निभाने को 
ना-जाने  कौन-कौनसी बाते 
हर मोड को होती हुई 
मेरे घर को पहुँची 
क्या अब भी कुछ बाकी रह गया 
तु मुझे चुपके से बुलाती क्युँ है | 

यकीन कर लू ना तुझ पर 
एक यही सच मुझ पर भारी है 
समझ से मेरे परे है 
अँधेरे मे मिलना ही तेरी लाचारी क्युँ है |

कई सवाल खडे थे राह मे 
सबको अनसुना छोड दिया 
सँकेत कई हुए शक के 
मैने सबसे मुख अपना मोड लिया 
कई चेहरे सवालो के हताश हुए 
लजाते उनको छोड दिया 
केवल तेरे एक बुलावे पर 
मैने सपनो को अपने मोड  लिया |

अब भी स्थिर नही अगर 
ये अल्फाज वफा के 
तो क्या मेरा हश्र होगा 
सवाल भी तबाह हुए अगर 
इससे बुरा क्या हश्र होगा | 



सब ठीक तो है ना

Analyser/Observer

अब तो बस 
जी चाहता है  
कोई अपना  
पूछ ले 
सब ठीक तो है ना |
और मै जोर से
रो दू 
पिघला दू 
उन आँसुओ को 
जो हर्दय-तल मे 
जम गये है | 
जो आँखो मे 
दिखायी नही देते |

व्यर्थ के भावो ने 
जो पाश मुझ पर डाला है 
एक-एक  कर उसके सारे बँधन मै खोलू 
जुबा जो अब तक 
प्रकट कर रही थी किसी ओर को 
उससे अब स्वयं को बोलु | 

अब तो बस 
जी चाहता है 
कोई अपना  
पूछ ले 
सब ठीक तो है ना | 

©Ashok Bamniya


तनाव

Analyser/Observer

जब हम अकेले होते है 
अँधेरे कमरो मे 
अकसर रो जाते है |

मन कि कुन्ठा 
बहा अश्रुओ मे 
चैन का बनाकर बिस्तर 
दर्द की चादर ओढकर 
सो जाते है |

आँखे मुंदी कि  कोई  आवाज 
पास हमारे आती है 
चेहरा अभी-भी सुखा नही है 
कि वही बाते फिर से हमे सताती है 
लुटा आये हम अपने ही हाथो 
अपने जज्बातो की जमीन को 

हे धर स्थिर 
चित्त अब शरीर छोड चला 
मन के भाव जो भी थे | 
एक मैल उनमे घुल गया 
हर तरफ स्याह फैला 
तु कौन था , किधर गया | 

घाव ये गहरे 
भाव अब मुख पर आते नही 
लाज़िम है अब तो 
हम किसी से कुछ कह पाते नही |

साँसे भी अपनी 
अब बदबूदार हुयी 
खुद ही , खुद से 
खुद की ये गुनहगार हुयी |
©Ashok Bamniya

Audio file तनाव
https://youtu.be/vQ7gQwnU3jk

Tanaav



यकीन

Analyser/Observer


यकीन है नही 
या यकीन हो रहा 
जुबान चुप हुयी 
मै खुद मे खो रहा 
बात कुछ नही 
पर बाते हो रही 
सुनाई दे रहा 
पर मै कुछ ना कह रहा 
वफा खत्म हुयी 
अब तुम भी मौन हो 
मै मुस्कुरा उठा 
जवाब मै भी ना दे रहा 
शिकायत मुझसे थी 
तो अब कह भी दो 
छुपाने के मायने भी 
अब खत्म हो चुके |

©Ashok_Bamniya 


AUDIO LINKhttps://youtu.be/o-QOsCy9Xhw
https://youtu.be/o-QOsCy9Xhw